गाजियाबाद: सब जानते हैं कोरोना की अभी कोई दवा नहीं है । फिर भी यदि कोई प्राइवेट अस्पताल में वायरल बुखार या मामूली लक्षण में भर्ती हो गया तो उसको लाखों का भुगतान किए बिना छुटकारा नहीं। प्राइवेट अस्पताल इस कोरोना काल में जम कर धन बटोरने में लगे हैं। ऐसा ही एक मामला पिछले सप्ताह प्रकाश में आया है। गाजियाबाद में तैनात मुख्य कोषाधिकारी लक्ष्मी मिश्रा (जो साहित्यिक क्षेत्र में मनु लक्ष्मी मिश्रा के नाम से जानी जाती हैं) के परिचित परिवार का उन्हें फोन आया था कि दीदी मेरे जीजाजी और उनके बेटे को कोविड पाज़िटिव का माइल्ड लक्षण बताने और जीजाजी को शुगर वगैरहा होने की वजह से हम डर गये थे जिस वजह से हमने दोनों को यशोदा अस्पताल कौशांबी में भर्ती करा दिया था।जनरल वार्ड में भर्ती थे।कोविड की कोई दवाई तो है नहीं, वहां केवल विटामिन और गारगिल,गर्म पानी आदि का इलाज हुआ।जब टेस्ट नेगेटिव आ गये तो अस्पताल ने डिस्चार्ज होने के लिए चार लाख साठ हजार का बिल दिया है। आप कह दीजिए।
मुख्य कोषाधिकारी ने पहले तो उनसे नाराजगी जाहिर की कि यदि वह समय से उन्हें बता देते तो वह उन्हें सरकारी कोविड अस्पताल में भर्ती करा देतीं। फिर तत्काल उन्होंने सीएमओ को पूरे मामले की जानकारी दी तो सीएमओ ने कहा कि आपके परिवार वाले वहां फलां सज्जन से सम्पर्क करें। सीएमओ द्वारा बताए सज्जन से जब परिवार मिला तो उन्होंने साठ हजार कम कर चार लाख का बिल दे दिया। परिवार ने जब यह मुख्य कोषाधिकारी को बताया तो उन्होंने अस्पताल से सीधे बात की और उन्हें हड़काया कि न कोई इलाज,न कोई आईसीयू,किस बात का है जनरल वार्ड का इतना बिल। आप जीओ से अधिक बिल नहीं ले सकते। तब बिल में एक लाख और कम कर दिये। मुख्य कोषाधिकारी इस प्रकरण से इतनी क्षुब्ध हुई कि फेसबुक पर अपनी पोस्ट में इस मामले को शेयर किया है तथा ऐसे ही और मामले भी शेयर किये हैं
यशोदा अस्पताल कौशांबी अधिकारी ने हड़काया तो एक लाख साठ हजार कम का भुगतान लिया