सहारनपुर। स्लिप डिस्क, माइग्रेन, स्पोन्डिलईटिस, साइटिका व नीपीन जैसी
बीमारियों का भले ही एलोपैथी चिकित्सा पद्धति में उपचार सार्थक न हो
लेकिन सिद्धहस्त मंत्र चिकित्सा पद्धति के जनक दीपक रस्तोगी के पुत्र
इंजी. दीक्षांत रस्तोगी इन रोगों से ग्रस्त रोगियों का शत-प्रतिशत उपचार
कर उन्हें निरोगी बनाने का कार्य कर रहे हैं और पिछले 30 वर्षों से सांई
सेवा सदन के माध्यम से यह लोग रोगियों का उपचार कर रहे हैं। देश-विदेश के
रोगियों का उपचार कर चुके हैं और लगभग 10 लाख लोगों को ठीक करने का दावा
भी कर रहे हैं, जिसमें प्रमुख राजनेताओं सहित टर्की व साउथ अफ्रिका, रूस
सहित अन्य विदेशी रोगियों का उपचार कर चुके हैं।
सर्राफा बाजार में रस्तोगी ज्वैलर्स के नाम से सर्राफा का कारोबार करने
वाले दीपक रस्तोगी ने लगभग तीस वर्ष पूर्व सिद्धहस्त मंत्र चिकित्सा
पद्धति के माध्यम से स्लिप डिस्क, माइग्रेन, स्पोन्डिलईटिस, साइटिका व
नीपीन जैसी बीमारियों का उपचार आरंभ किया था। एलोपैथी जैसी चिकित्सा
पद्धति से निराश हो चुके रोगियों का दीपक रस्तोगी ने उपचार कर उन्हें
निरोगी किया। पिछले तीस वर्षों से रोगियों का उपचार कर उन्हें निरोगी
बनाने का काम कर रहे हैं। उन्हें राजनेताओं व प्रशासनिक अधिकारियों ने
प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया है। 25 वर्ष पूर्व तोता चौक ब्रजविहार
कालोनी भूतेश्वर मंदिर रोड पर सांई सेवन सदन की स्थापना कर रोगियों का
निरन्तर उपचार कर रहे दीपक रस्तोगी का विगत मार्च माह 2020 में निधन हो
गया। उनके साथ उनके पुत्र इंजी. दीक्षांत रस्तोगी लगातार इस चिकित्सा
पद्धति से रोगियों का उपचार कर रहे हैं, दीक्षांत रस्तोगी ने दिल्ली में
ग्रेटर कैलाश में रवाना एंव सांई सेवा सदन के नाम से अपनी सेवाएं देना
आंरभ किया। ई दीक्षांत रस्तौगी बताते हे उन्होंने टर्की, पाकिस्तान, रूस,
अमेरिका, साउथ अफ्रीका समेत विभिन्न विदेशी रोगियों का उपचार कर चुके
हैं। 2018 में दिल्ली के एक सभागार में रशीयन अम्बेसी द्वारा आयोजित
कार्यक्रम में दीक्षांत रस्तोगी को कन्ट्रीवाइड इम्पैक्ट से सम्मानित भी
किया जा चुका है। लगभग 8 वर्ष तक दिल्ली में अपनी सेवाएं देने के उपरान्त
पिता के निधन के पश्चात अब दीक्षांत रस्तोगी ने अपने पिता का कारोबार
संभाल सांई सेवा सदन में रोगियों का उपचार करने में लगे हैं। सेवाभाव के
उद्देश्य से उपचार कर रहे हैं। दीपक रस्तोगी के सानिध्य में उपचारार्थ
रोगी राकेश शर्मा का कहना है कि एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में निराश हो
चुके रोगियों के लिए यह चिकित्सा पद्धति अत्यधिक कारगर व सार्थक है,
जिसमें लगभग 99 फीसदी रोगी ठीक होते हैं।