गजब: निजी भूमि को खोदकर किया जा रहा अवैध खनन क्यों स्थानीय प्रशासन ने साधी है चुप्पी


सहारनपुर। अवैध खनन को लेकर यूपी का सहारनपुर सुर्खियां बटोरता ही रहता
है बात चाहे खनन विभाग की हो या पुलिस प्रशासन की दोनों पर ही अवैध खनन
और उसके अवैध परिवहन कराने का आरोप भी स्थानीय लोगों और अन्य ठेकेदारों
के द्वारा लगता ही रहता है। यहाँ खेती की जमीनों पर भी खनन किया जाता है
जो कि पूर्णतः अवैध होता है यहाँ के किसान कुछ पैसों के लालच में खनन
माफियाओं को अपना निजी पट्टा 3 महीने के लिए दे देते हैं और खनन ठेकेदार
बदले में उन्हें औने-पौने दाम देते हैं। अगर यही पट्टा 3 माह की जगह 6
माह का कर दिया जाये तो सरकार द्वारा इनकी भी बोली लगायी जाएगी और किसान
को लाभान्वित दाम मिल पायेगा .इतना ही नहीं इस तरह जो निजी पट्टे 3 माह
के लिए दिए जाते हैं तो उन पट्टों की जमीन को खनन माफिया 30 से 40 फुट तक
खोद देते हैं। अगर यही पट्टे सरकार के द्वारा नीलामी के माध्यम से दिया
जायेगा तो खनन के नियमानुसार तथा पर्यावरणीय अनुमति प्राप्त कर  खनन
ठेकेदार इन पट्टों से खनन कर पाएंगे और अवैध खनन पर रोक लगेगी।
खनन ठेकेदरों का मानना है कि बाढ़ के कारण बालू, बजरी , बोल्डर यहाँ के
खेतों में आ जाते हैं जिनको को हटाने की आड़ में निजी भूमि से अवैध रूप से
उपखनिजो का खनन किया जा रहा है जो कि विभागीय मिली भगत से हो रहा
है।राजस्व अधिकारियों की मिली भगत से नदियों के पास की ऐसी जमीन जो कृषि
योग्य नहीं है वर्षों से ऐसी ही पड़ी हुयी है जिनमे कोई खेती नहीं की जा
रही है उन जमीनों को कृषि योग्य बनाने की आड़ में अवैध खनन किया जा रहा
है। ये लोग तहसील रिकार्ड को खुर्द बुर्द कर पिछले पांच वर्षों से इन
जमीनों पर खेती दिखा कर खनन अनुज्ञा पत्र प्राप्त  कर रहे हैं जिससे
सरकार के राजस्व की बहुत बड़ी हानि हो रही है इतना ही नहीं इस तरह के अवैध
खनन से स्थानीय पर्यावरणीय क्षति भी हो रही है।पिछले कृषि भूमि पर किये
गये पट्टों के अगर मौजूदा हालात को देखा जाये तो वहां पर आपको खेती की
बजाय बड़े बड़े गड्ढे और तालाब नजर आएंगे



जिससे यह बात साफ़ तौर पर निकलकर
आती है कि किस तरह इन निजी पट्टों पर खनन माफिया खनन कर खेती योग्य बनाते
हैं और आज का यह किसान जिसे भगवान् और अन्नदाता कहा जा रहा है खनन माफिया
बनता जा रहा है क्योंकि एक सामान्य किसान दवारा लाखो करोड़ों की रकम
रॉयल्टी के रूप में एडवांस जमा की जा रही है जो की सोचनीय विषय है  ।
उत्तर प्रदेश खनन नियमावली की धारा 52 (क)में कृषि भूमि से बाढ़ के कारण
जमा बालू बजरी , बोल्डर को हटाने  खनन परमिट जारी करने का प्रावधान किया
गया है जिसमे 220 रु प्रति घनमीटर की दर से रोयल्टी जमा कर परमिट प्राप्त
किया जा सकता है द्य जिसमे पर्यावरण क्लीरियंस से छूट का प्रावधान किया
गया है वहीँ नियम 23 में निजी भूमि से 6 माह का खनन अनुज्ञा पत्र ई
-निविदा द्वारा जारी करने का प्रावधान है जिसमे पर्यावरण क्लीरियंस लेना
अनिवार्य है।अब यहीं खेल शुरू होता है खनन विभाग और खनन माफिया का ,अगर
निजी भूमि का पट्टा 3 माह के लिए लेते हैं तो किसी भी तरह के पर्यावरणीय
क्लीरिएंस की आवश्यकता नहीं पड़ती है वहीँ अगर यह पट्टा 6 महीने का हो तो
इसमें ई-निविदा और पर्यावरण विभाग के क्लीरिएंस की आवश्यकता पड़ेगी।वहीं
अगर सुरक्षा और अवैध खनन की दृष्टि से कैमरे लगाने की बात की जाए तो निजी
पट्टों पर कैमरे नही लगाए जाते ना ही परमिट वाली भूमि पर तोल कांटे लगाए
जाते है  वहीं अगर इसका समय 6 माह का कर दिया जाए और ई निविदा की जाए तो
इन पर कैमरे लगाए जा सकते हैं जिससे अवैध खनन और इसका अवैध परिवहन रुक
जाएगा। इन्ही सब से बचने के लिए नियमों को गलत परिभाषित कर और विभागीय
मिली भगत से खनन परमिट दिए जा रहे हैं जिससे सरकारी राजस्व व् स्थानीय
पर्यावरण को बहुत बड़ी हानि हो रही है। खेतो को खोदकर उपखनिज निकालकर कृषि
योग्य बनाने के नाम पर उलटा इन्हे बंजर बनाया जा रहा है कयोंकि यह नियम
किसान की भूमि की ऊपरी सतह पर बाढ़ से जमा मलबे को हटाकर दबी हुई सतह पर
पुनः कृषि कार्य करने के लिये बननाया गया था न कि 10-15 फुट खोदकर उपखनिज
निकलने के लिये. तभी पर्यावरणीय अनुमति से इस नियम को छूट प्रदान की गयी
थी. परन्तु खनन माफिया की पैंतरेबाजी से राज्य को तथा किसानो को भी कहीं
ना कहीं बहुत बड़ी क्षति हो रही है।


 


Popular posts
देसी मदिरा की दुकान पर मिलावटी शराब का धंधा जोरों पर आबकारी टीम ने छापा मारकर चार लोगों को अवैध शराब सहित दबोचा- Headlines Hindustan
Image
थाना मिर्जापुर पुलिस तथा बदमाश के बीच हुई जबरदस्त मुठभेड़ में बदमाश सहित एक उप निरीक्षक भी घायल
Image
अपराध की रोकथाम के लिए पुलिस कप्तान का'आपरेशन थर्ड आई' अर्जुन सिंह भंडारी
Image
भारतीय सेना के शौर्य का इतिहास सबके लिए प्रेरणा: शीतल टण्डन जिला व्यापार मण्डल द्वारा 1971 के भारत-पाक युद्ध के 50वें विजय दिवस पर शहीद मीनार पर शहीदों को नमन
Image
ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन से जुड़े पत्रकारों द्वारा 24 घण्टे का अल्टीमेटम देते ही थाना जनकपुरी पुलिस को करना पड़ा जीशान गाढ़ा को गिरफ्तार
Image