संसद से पारित तीन कृषि विधेयकों पर राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद की मुहर


नई दिल्ली. मानसून सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों ने किसानों के हित में केंद्र सरकार की ओर से पेश तीन विधेयकों को पारित कर दिया था. अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन तीन कृषि विधेयकों पर मुहर लगा दी है यानी अब ये तीनों विधेयक कानून बन गए हैं. केंद्र सरकार ने इन विधेयकों के संसद से पारित होने के बाद कहा था कि अब किसानों को अपनी फसल मंडी ही नहीं किसी भी खरीदार को किसी भी कीमत पर और किसी भी राज्‍य में बेचने की आजादी मिलेगी. आइए जानते हैं नए कृषि कानून से जुड़ी अहम बातें और क्‍यों हो रहा है इनका विरोध.


[21:05, 9/27/2020] +91 86309 96240: कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020- इसमें किसानों को फसल बेचने से जुड़ी कई आजादी मिली हैं. अब किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. बिना किसी रुकावट दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते हैं. इसका मतलब है कि अब एपीएमसी के दायरे से बाहर फसलों की खरीद-बिक्री हो सकेगी. साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स भी नहीं लगेगा. ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी. इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे और उनकी आय बढ़ेगी.


मूल्य आश्वासन व कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020-  इस विधेयक में देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी. किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलिया राज खत्म होगा. आवश्यक वस्तु संशोधन बिल- आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. नया कानून बनने से अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्‍पादों पर से स्टॉक लिमिट हट गई है. बहुत जरूरी होने पर ही इन पर स्‍टॉक लिमिट लगाई जाएगी. ऐसी स्थितियों में राष्‍ट्रीय आपदा, सूखा जैसी स्थितियां शामिल हैं. प्रोसेसर या वैल्‍यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्‍टॉक सीमा लागू नहीं होगी. उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.


किसान क्यों हो रहे हैं विरोध
किसान और व्यापारियों को इन विधेयकों से एपीएमसी मंडियां खत्म होने की आशंका है. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 में कहा गया है कि किसान अब एपीएमसी मंडियों के बाहर किसी को भी अपनी उपज बेच सकता है, जिस पर कोई शुल्क नहीं लगेगा. वहीं, एपीएमसी मंडियों में कृषि उत्पादों की खरीद पर विभिन्‍न राज्यों में अलग-अलग मंडी शुल्क और अन्य सेस हैं.


किसानों-आढ़तियों का डर
आढ़तियों और मंडी के कारोबारियों को डर है कि जब मंडी के बाहर बिना शुल्क का कारोबार होगा तो कोई मंडी आना नहीं चाहेगा. किसानों को डर है कि सरकार नए कानून के बाद न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) पर फसलों की खरीद बंद कर देगी. दरअसल, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 में इस संबंध में कोई स्‍पष्‍टीकरण नहीं है कि मंडी के बाहर जो खरीद होगी वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे के भाव पर नहीं होगी।
[21:06, 9/27/2020] +91 86309 96240: अच्छा हुआ, अकाली दल ने एनडीए का साथ छोड़ दिया- शिवसेना 


शिवसेना ने रविवार को कृषि से संबंधित तीन बिलों के विरोध में भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से नाता तोड़ने के शिरोमणि अकाली दल के निर्णय का स्वागत किया। बीते एक साल में अकाली दल शिवसेना के बाद दूसरी पार्टी है, जिसने भाजपा का साथ छोड़ दिया। दोनों भाजपा की पुरानी सहयोगी थी।
 राउत ने कहा, “शिवसेना और अकाली दल एनडीए के स्तंभ थे, जो अब वहां नहीं रहे। इसलिए मौजूदा गठबंधन को एनडीए नहीं कहा जा सकता।”
शिरोमणि अकाली दल के निर्णय का स्वागत
राउत ने कहा, “यह अलग तरह का गठबंधन है। शिवसेना किसानों के हित में एनडीए से नाता तोड़ने के शिरोमणि अकाली दल के निर्णय का स्वागत करता है।


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