सहारनपुर। पक्का बाग़ स्तिथ परचम संस्था कैम्प कार्यालय पर बेटी दिवस
मनाया गया इस अवसर डॉ कुदसिया अन्जुम ने कहा कि भारत में बेटी दिवस मनाने
की एक खास वजह बेटियों के प्रति लोगों को जागरूक करना है इस दिन बेटी को
ना पढ़ाना, उन्हें जन्म से पहले मारना ,घरेलू हिंसा दहेज और दुष्कर्म से
बेटियों को बचाने के लिए उन्हें जागरूक करना है उन्हें यह समझाना है कि
बेटियां किसी पर बोझ नहीं होती। आज का दिन रोनक और गर्व का दिन यानी बेटी
दिवस है नुसरत परवीन ने कहा कि बेटियां ईश्वर की नेमत होती है घर में
खुशियां उनके ही होने से आती है। हर साल सितंबर के आखरी रविवार को डॉटर्स
डे के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर दानिश सिद्दीकी ज़िला मंत्री
उ०प्र० राज्य कर्मचारी महासंघ ने कहा कि शिक्षित बेटी से बढ़ती है समाज की
इज़्ज़त आज शिक्षा का महत्व काफी बढ़ गया है। लोग बेटों को शिक्षित करने के
लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा देते हैं। लेकिन, बेटियों के मामले में ऐसा
नहीं होता है। समाज को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। बेटों से एक घर
बढ़ता है। बेटियां शिक्षित होती है, तो दो घर शिक्षित होता है। शिक्षित
बेटी से समाज की इज्जत बढ़ती है। बेटियों को पढ़ने और आगे बढ़ने का समान
अवसर उपलब्ध कराए बिना सुशिक्षित समाज के निर्माण की परिकल्पना भी
बेईमानी है। इस दिन का इतिहास बहुत खास है लड़के की तुलना में लड़कियों का
लिंगानुपात कम होता देख अंतरराष्ट्रीय तौर पर बेटी दिवस मनाने का निर्णय
लिया गया। इस दौरान फरजाना शेखर शर्मा ने कहा कि बदलते परिवेश में भारत
में बेटियों के प्रति नजरिए को लेकर बहुत बदलाव आ गया है आया है। लेकिन
अभी भी भारत को बेटी के महत्व को समझने के लिए एक नंबर सफर तय करना है एक
लंबा सफर तय करना है। बेटियों को उड़ने के लिए पंख दे सकते हैं। इस अवसर
पर बेटियों ने कविताएं व ग़ज़लें पढ़ी। खुशबू ने कविता सुनाई खिलती हुई
कलियां है बेटियां मां बाप का दर्द समझती है बेटियां घरों को रोशन करती
है। इस अवसर पर नेहा सलीम,वलिया, बसकर, गुलशन आदि मौजूद रहे।
बेटियों को शिक्षित करने की आवश्यकता: डा.कुदसिया