पहली बार मोबाइल एप से होगी 7आर्थिक जनगणना
केंद्र सरकार सातवीं आर्थिक जनगणना के तहत व्यवसायिक उद्यमों का पंजीकरण करा कारोबारी रजिस्टर बनाने की तैयारी में है। इस कार्य को पूरा करने के दौरान 15 लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा। यह गणना वित्त वर्ष 2019-20 में पूरी कर ली जाएगी। केंद्रीय सांख्यिक मंत्रालय के सचिव प्रवीन श्रीवास्तव ने बृहस्पतिवार को बताया कि आर्थिक जनगणना के तहत देश के 20 करोड़ घरों और प्रतिष्ठानों से सूचना एकत्र करने में सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) बड़ी भूमिका निभाएंगे।
 

उन्होंने कहा कि हमारा देश में 160 प्राधिकारों का नेटवर्क है, जिससे हम समय पर आंकड़े जुटा लेंगे। योजना के तहत व्यवसायिक उद्यमों को पंजीकृत करने का प्रस्ताव है जिन्हें आने वाले दिनों में लगातार अपडेट किया जाएगा और इसका लाभ केंद्र व राज्य सरकारों समेत विभिन्न हिस्सेदारों को मिलेगा। 


पहली बार पेपरलेस सर्वे


सीएससी-एसपीवी के सीईओ दिनेश त्यागी ने कहा कि यह पहली बार है जब पूरी तरह पेपरलेस आर्थिक आंकड़े जुटाए जाएंगे। इससे सर्वे का काम महज छह माह में पूरा किया जा सकेगा जिसमें अभी तक दो वर्ष का समय लगता है। डाटा जुटाना आसान होने से भविष्य में यह सर्वे हर दो वर्षों पर किया जा सकेगा जो अभी 10 साल में किया जाता है।  






सांख्यिकी मंत्रालय के उप महानिदेशक पंकज श्रीवास्तव ने इस बारे में कहा कि आर्थिक जनगणना सही आंकड़े जुटाकर बदलाव लाने की दिशा में अहम उपलब्धि होगी। सूचना प्रौद्योगिकी की मदद से हम सभी हिस्सेदारों के साथ समन्वय कर इस काम को अंजाम देंगे।

 

देश में पहली बार पेपरलेस डिजिटल तौर तरीकों से आर्थिक जनगणना होगी, जिसे लेकर जिले के जिम्मेदार अधिकारियों ने तैयारियां तेज कर दी है।
 

रविवार को मवई चौराहा पर वीएलई (ग्रामीण स्तरीय उद्यमी) के साथ बैठक करके इसकी जिम्मेदारी कॉमन सर्विस सेंटर, और उनके कर्मचारियों को सौंपी गई है। इससे जिले में करीब 25 सौ से ज्यादा युवाओं को रोजगार मिलेगा।


सीएससी के VLE सुपरवाइजर- प्रदीप कुमार चौधरी , सुपरवाइजर - नीलम, { क्षेत्र } नगर सहारनपुर,  उत्तर प्रदेश  ने बताया कि तिथि की घोषणा होते ही मोबाइल एप के साथ सर्वेक्षण कर्मी घर-घर पहुंचेंगे। इस एप में जो भी डाटा फीड होगा वह सीधे सांख्यिकी मंत्रालय के पोर्टल पर जाएगा।

 

इससे पहले वर्ष 2013 में आर्थिक जनगणना हुई है। बताया कि पहले इस काम में परिषदीय स्कूलों के अध्यापकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा आदि को लगाया जाता था।

अबकी बार देश भर की आर्थिक जनगणना का कार्य सीएससी एजेंसी को दिया गया है। एजेंसी अपने कॉमन सर्विस सेंटर संचालकों यानी वीएलई के माध्यम से इसे पूरा कराएगी।


जनगणना के तरीके का दिया जाएगा प्रशिक्षण

जनगणना का काम जनसेवा केंद्रों के माध्यम से होगा, लिहाजा केंद्र संचालकों को काम करने का तरीका बताया जाएगा। सीएससी के जिला प्रबंधक ने बताया कि जिले में सभी ग्राम पंचायतों के सीएससी संचालक से ही जनगणना कराई जाएगी।
जन सेवा केंद्र संचालक ने अपने स्तर पर 10 युवाओं को जोड़ चुका है, जो मोबाइल एप लेकर घर-घर जाएंगे और डाटा एकत्रित करेंगे। केंद्र संचालक बतौर सुपरवाइजर उनके काम को क्रास वेरीफाई करेगा।
यह डाटा सीधे संख्यिकी मंत्रालय के पोर्टल पर पहुंचेगा। 

 
ऐसे होगी गणना
बताया कि तीन तरीके से यह गणना होगी। पहली में ऐसे घरों की गणना होगी जहां कोई व्यवसायिक गतिविधि नहीं हो रही है। दूसरा उन घरों का सर्वे होगा जहां घर में छोटी छोटी दुकानें खोली गई है और तीसरी व्यवसायिक दुकानों, मॉल, फैक्ट्री आदि व्यवसायिक गतिविधियों वाले स्थान की गणना होगा। बताया कि इस गणना से सरकार को अपनी आर्थिक निर्णय लेने में मदद करती है। देश के कितने लोगों के पास रोजगार है। लोगों की आर्थिक स्थिति के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी।



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